आंध्र प्रदेश के कुरनूल में बनेगी 108 फीट ऊंची Lord Ram Statue
Amit shah
अमित अनिल चंद्र शाह एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो वर्तमान में 2019 से 31वें गृह मंत्री और 2021 से भारत के पहले सहकारिता मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने तब से भारतीय जनता पार्टी के 10वें अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है।
अमित शाह का नया ऐलान:
रविवार की अमित शाह ने आंध्र प्रदेश मे श्री भगवान राम जी की 108 फुट ऊंची प्रीतमा का वर्चुअल शिलान्यास बनाने का फैसला लिया है।
रविवार की अमित शाह ने आंध्र प्रदेश मे श्री भगवान राम जी की 108 फुट ऊंची प्रीतमा का वर्चुअल शिलान्यास बनाने का फैसला लिया है, आंध्र प्रदेश के कुरनूल शहर में, जिसके बनने के बाद देश की सबसे ऊंची इमारत होने की उम्मीद है।
अमित शाह ये प्रतिमा इस उम्मीद मे बनवा रहे है क्युकी उनको लगता है की भगवान श्री राम जी की प्रतिमा बनाने से कुरनूल शहर की जनता के मन मे भगवान श्री राम जी के प्रति भागती और भावना बढ़ जाएगी।
उन्हों ने यह भी कामना जताई की यह प्रतिमा कुरनूल की जनता के मन मे भारत देश की सभ्यता से जोड़े रखने के लिए प्रेरित करेगी।
राम जी से जुड़ी कुछ बातें:-
एक तरफ रविवार की अमित शाह ने आंध्र प्रदेश मे श्री भगवान राम जी की 108 फुट ऊंची प्रीतमा का वर्चुअल शिलान्यास बनाने का फैसला लिया है, दूसरी तरफ हम आपको भगवान श्री राम जी से जुड़ी कुछ बताना चाहेंगे। जो हर एक भारतीय को पता होना चाहिए।
भगवान राम महान क्यों हैं?
भगवान राम को भगवान विष्णु के सातवें अवतार के रूप में जाना जाता है तथा कृष्ण आठवें अवतार हैं । राम शिष्टाचार और सदाचार के प्रतीक हैं, मूल्यों और नैतिकता के प्रतीक हैं। राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, जिसका अर्थ है पूर्ण पुरुष। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने बुरी ताकतों को नष्ट करने के लिए पृथ्वी पर जन्म लिया था।
राम जी का असली नाम क्या है?
रामायण के राम जी का असली नाम राम ही है। उन्हें दशरथनन्दन, कोदंडधारी, रघु, राघव, सियापति, अयोध्यापति, अवधेश ऐसे कई नामों से भी जाना जाता है। जो रामानंद सागर साहब की रामायण है उसमे जिस व्यक्ति ने श्रीराम की भूमिका निभाई है उनका नाम है अरुण गोविल। रामायण के राम जी का असली नाम तो श्री रामचन्द्र ही है।
अयोध्या का अंतिम राजा कौन है?
अग्निवर्ण थे अंतिम राजा
इसमें दिलीप, रघु, दशरथ, राम, कुश और अतिथि का विशेष वर्णन किया गया है। वे सभी समाज में आदर्श स्थापित करने में सफल हुए। ‘रघुवंश’ के अनुसार रघु कुल में अतिथि के बाद 20 रघुवंशी राजाओं की कथा है। इस वंश का पतन उसके अंतिम राजा अग्निवर्ण के विलासिता की अति के कारण होता है।